सवाल यह हैकि, आखिर कहां गया वह महंत रूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का खौफ? उत्तर प्रदश कैसे अपराध प्रदेश बन गया ? योगी के सत्ता संभालने के बाद से ही अपराधियों के बुरे दिन आ गए है कहने वाली सरकार में आज अपराधियों का बोलबाला है…एक सख्त सीएम के सामने कैसे प्रदेश बिखर रहा है ? जो कहते थे अपराधियों को ठोक दो आज उनकी ही सरकार में अपराधी ठोक रहे है ? इसके पीछे क्या कहानी है ? सीएम योगी आदित्य नाथ ने 19 मार्च 2017 को प्रदेश की कमान संभाली तो अपराधी मुक्त उत्तर प्रदेश के लिए यूपी पुलिस ने ताबड़तोड़ एनकाऊंटर किए…सीएम के काम की सराहना हुई लेकिन अब यूपी में जंगलराज का साया दिखने लगा…डर लगने लगा और अपराधियों का बोलबाला भी दिखने लगा है।
बात इस हद तक जा पहंची है कि, अब्बल दर्जे की ट्रेनिंग की पोल भी कुछ घटनाओं ने खोल दिया है…यूपी के कुशीनगर में पुलिस हथियारों से लैस खड़ी रही लेकिन भीड़ ने एक बदमाश की हत्या कर दी..सीएम ने पुलिस पर सख्ती, एसपी के तबादले या डीएम पर कार्रवाई तो की लेकिन पुलिस की ट्रेनिंग, पुलिस एजुकेशन में सुधार या पुलिस में होनहारों की भर्ती को लेकर कोई प्लान नहीं बनाया जो एक मुख्य कारण है कि योगी की पुलिस अपराधियों को पकड़ने उन्हें खदेड़ने और प्रदेश को अपराध मुक्त बनाने में असफल है…बारांबकी एसपी के सामने पुलिस वालों की पिस्तौल नहीं चली थी तो कुशीनगर में हथियार होने और चलाने के बाद भी पुलिस भीड़ को नियंत्रित नहीं कर पाई…एनकाउंटर पुलिस के नाम से मशहूर हुई यूपी पुलिस को अब विपक्ष अनाडी पुलिस क्यों बता रहा है…ब्राह्मणों पर अत्याचार के आरोप सरकार पर कैसे लग रहे है ? क्या इसके पीछे भी कोई कहानी है लखीमपुर खीरी में कांग्रेस के पूर्व विधायक की हत्या के बाद ब्राह्मणों की हत्या का मामला भी तूल पकड़ रहा है…
अपराधियों को पुलिस रोकने में नाकाम…विपक्ष के सावालों से घिरी यूपी सरकार…हत्या रोकने में पुलिस विभाग नाकाम…ज़िले के कप्तान के हाथ से निकल रही है कमान ? फिर सवाल उठता है कैसे बचेगा यूपी का सम्मान ?
कानपुर में विकास दूबे हत्या कांड में पुलिस वालों की मिलीभगत…लखीमपुर खीरी में पुलिस वालों की मिलीभगत…थानों में पुलिसवालों का बिगड़ता व्यवहर भी कानून व्यवस्था को बेपटरी कर रहा है…सीएम योगी जिस रफ्तार से पीछले साल अधिकारियों को निर्देश दे रहे थे…क्या वो रफ्तार धीमी पड़ गई है ? हेलमेट न पहनने पर यूपी पुलिस सिर के बल नाचने वाली आज खुली आंखों से अपराधियों को पकड़ने में नाकाम है। मामला गंभीर है, सवाल बड़े है, लेकिन जवाब नहीं है जनाब।
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