लव_ट्रैप_और_ग़ैरमुस्लिम_सहेलियों_का_किरदार : समस्या 👇


विशेष संगठन की महिला शाखा की ट्रेंड लड़कियों का दोस्ती करना

👉सबसे पहले तो ये जान लें कि लव ट्रैप जैसे मामलों को अंजाम देने के लिए एक विशेष संगठन के द्वारा बनाई गई महिला शाखा में ट्रेनिंग दी गई लड़कियों के ज़रिए मुस्लिम बहनों की दोस्ती करवाई जाती है और ये दोस्ती स्कूल, कॉलेज, कोचिंग सेंटर आदि में बड़े आराम से हो सकती है। 


मिलना जुलना शुरू करना

👉 अक्सर ऐसा होता है कि क़ौम की बेटियाँ के स्कूल, कॉलेज और कोचिंग सेंटर में जाने की वजह से विशेष धर्म की लड़कियांँ बात चीत शुरू करती हैं और धीरे धीरे घर परिवार के बारे में जानना चाहती हैं इसके लिए वो घर आना और मिलना जुलना शुरू करती हैं, कभी पढ़ाई के नाम पर तो कभी त्यौहारों के नाम पर।

 


फिर मॉडर्न न होने की एहसासे कमतरी में मुब्तिला करना

👉 बात चीत के दर्मियाँ ही विशेष धर्म की लड़कियों का तंज शुरू होता है, बात बात पर पिछड़े समुदाय और गरीबी का ताना देकर बेहयाई और बेगैरती की तरफ़ रूजू करवाया जाता है।


फिर ग़ैरमुस्लिम लड़को से मिलवाना

👉 घरों में आने जाने के दौरान ही अपने सगे, चचेरे, ममेरे, मौसेरे, भाईयों या किसी भी गैरमुस्लिम लड़कों से बा आसानी दोस्ती करवाई जाती है, ये कहकर कि "आजकल तो सभी प्यार करते हैं", "प्यार का कोई धर्म नहीं होता", "फिल्मों का एग्जांपल दिया जाता है"।


गुनाहों में मदद करना

👉जब लड़की तैयार हो जाए तो आगे उसकी मदद इस तरह की जाती है, गैरमुस्लिम से बात करने के लिए फ़ोन देना, मिलने के लिए पढ़ाई के बहाने अपने घर बुलाना, किसी शादी ब्याह के बहाने अपने घर पर रोक लेना।


फिर लड़कियों का शादी के लिए ब्रेनवाश करना

👉 जब लड़की इस हद तक आगे बढ़ जाती है तो उसको शादी के लिए उकसाया जाता है, या तो वो फ़ौरन तैयार हो जाती है, या फिर उसको फोटोज, विडियोज, और बाक़ी सबूतों के ज़रिए धमकाया जाता है, या फिर उसको दूसरी लड़कियों का एग्जांपल दिया जाता है।


अपने मज़हब और समाज के ख़िलाफ़ भड़काना

👉 इन्हीं सब के दौरान उसके ज़ेहन में इस्लाम को लेकर शक ओ सुभा पैदा किए जाते हैं, उनको बताया जाता है कि कैसे तुम्हारे यहांँ लड़कियों को पढ़ने नहीं देते, उनको तलाक़ दिया जाता है, हलाला करवाया जाता है, अल्लाह को किसने पैदा किया है (नाऊजु बिल्लाह), इसी तरह की तमाम बातें ज़ेहन में डाली जाती हैं, जिसमें कम अक्ल और शऊर रखने वाली आसानी से फंस जाती है।


और शिर्क व कुफ़्र को बेहतर बताना

👉 अपने धर्म की गतिविधियों को अच्छा साबित करने की कोशिश की जाती है कि हमारे यहांँ औरत को देवी कहते हैं, दूसरी शादी नहीं होगी, ज़्यादा बच्चे पैदा नहीं करने होंगे, तलाक़ और हलाला नहीं होगा, और बुतों की बड़ाई करके उनकी तरफ़ मायेल किया जाता है।


इलाज👇

विशेष संगठन से जुड़ी लड़कियों से दूरी रखना 

👉 अपनी बच्चियों की हर सहेली पर नज़र रखें और अगर आपको इल्म हो जाए कि ये लड़कियांँ किसी विशेष संगठन से जुड़ी हैं तो अपनी बच्चियों को उनसे दूर कर लें।


ग़ैरमुस्लिम सहेलियों पर नज़र रखने

👉 गैरमुस्लिम सहेलियों पर नज़र रखें, अगर वो बार बार आपकी बच्ची को अपने घर बुलाया, आपकी बेटी को लेकर शॉपिंग करने जाए या घूमने फिरने के लिए बार बार बुलाए तो बच्ची को ना जाने दें।


मोबाइल चेक करते रहना

👉बच्चियों के मोबाईल फ़ोन को वक्त वक्त पर चेक करते रहें, अगर वो पासवर्ड लगायें या फ़ोन दिखाने से इंकार करें या ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल करें तो फ़ोन लेकर रख लें।


आने जाने की बेहद छूट न देना

👉 उन्हें अकेले बाहर या सहेली के घर आने जाने की छूट ना दें बल्कि उनके साथ जाएं और उनके काम होते ही साथ लेकर वापस आएं।


दीनी तालीम करना

👉अपनी बच्चियों को ना सिर्फ़ दुनियावी बल्कि दीनी तालीम भी ज़रूर करवाएं ताकि उनको हलाल - हराम, जायज़ - ना जायज़ का इल्म हो सके और उन्हें इस बात से भी अवगत कराएं कि आपको किससे कितनी बात करनी है और किन किन लोगों से दूर रहना है, उनको ईमान और कुफ्र के दर्मियाँ का फ़र्क समझाएं, अपनी बच्चियों को बचपन से ही दीनी तरबियत देना ये मांँ बाप की ज़िम्मेदारी है जिसका सवाल रोज़ ए कयामत ज़रूर होगा।


आयशा मुल्तानी ✍️

#टीम_मुल्तानी समाज

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