1) महामारी भारत में जनवरी 2020 में आ गई थी. पिछले लॉकडाउन के दौरान ही पता चल गया था कि इसके लिए वेंटिलेटर और आक्सीजन जरूरी होंगे. आज देश के सभी बड़े शहरों में सभी जरूरी चीजों की कमी है. एक साल में आपने भाषण देने, विधायक खरीदने और दाढ़ी बढ़ाने के अलावा क्या काम किया?
2) जो पीएम केयर फंड बनाया गया था वह जनता के केयर के लिए था या पीएम ने अपना चुनावी केयर करने के लिए बनाया था? वह फंड कहां गया? विपक्ष की मांग पर भी उसका आडिट क्यों नहीं होने दिया गया?
3) महामारी के बीच जब ये आशंका थी कि दूसरी लहर आएगी, तो आपने 2020-21 में 9,294 मीट्रिक टन आक्सीजन निर्यात क्यों की? इसके पहले के साल में जब महामारी नहीं थी तब आपने 4502 मीट्रिक टन निर्यात की थी. महामारी में दोगुना आक्सीजन निर्यात का आइडिया किस गधे का था?
4) आपका डंका दुनिया भर में बज रहा है लेकिन जब तीन हफ्ते में हजारों लोग मर गए हैं, तो अब आप कह रहे हैं कि 50,000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आयात की जाएगी, इसके लिए निविदा जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. प्यासा पानी बिना मर रहा है और ये डंकाप्रसाद अब कुआं खोदने की तैयारी कर रहे हैं?
5) मार्च 2020 में सरकार ने कोरोना को महामारी घोषित किया. तभी ऐलान किया गया था कि देश भर के सरकारी अस्पतालों में 162 आक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं जो सीधे वेंटिलेटर तक आक्सीजन सप्लाई करेंगे. आज एक साल बाद सरकार कह रही है कि आक्सीजन सप्लाई के लिए प्लांट लगाने और उत्पादन बढ़ाने की कोशिश की जा रही है? फिर वे 162 प्लांट कहां हैं? याद रहे कि कोरोना प्रबंधन खुद डंकाप्रसाद देख रहे थे.
6) इधर ये भी दावा किया जा रहा है कि देश में पर्याप्त ऑक्सीजन उत्पादन की क्षमता है. अगर उत्पादन क्षमता है तो आयात क्यों कर रहे हैं? क्या आप झूठ बोल रहे हैं?
7) आपकी ताली, थाली और दिया बाती मार्का प्रबंधन का प्रताप सारी दुनिया देख चुकी है. इतनी तबाही के बाद भी आप 'युवा कमेटी बनाएं, बच्चे आगे आएं' जैसी नौटंकी क्यों कर रहे हैं? क्या आपके लिए हजारों लोगों की बर्बादी एक इवेंट भर है?
8) आज भी आपका अहंकार सातवें आसमान पर क्यों है? पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कुछ सलाह देते हैं तो आप अहंकार से भरा मूर्खतापूर्ण जवाब देते हैं और शाम को वही सलाह लागू करने की घोषण कर देते हैं. महामारी विशेषज्ञों ने पिछले साल पत्र लिखा कि हमें भी कुछ मालूम है, हमें भी काम करने दिया जाए. आप विशेषज्ञों, जानकारों और विपक्षियों की सलाह लेने में अपनी हेठी क्यों समझते हैं?
ऐसानिचोड़ ये है कि जितना प्रयास आप षडयंत्र करने, लोगों के गुमराह करने और झूठ बोलने के लिए करते हैं, उसका आधा प्रयास भी महामारी से निपटने के लिए किया गया होता तो आज शहर के शहर श्मशान में तब्दील नहीं होते. झूठ बोलने का कारोबार बंद करें. रोज हजारों परिवार बर्बाद हो रहे हैं. ये सच है कि महामारी प्राकृतिक है, लेकिन उतना ही सच ये भी है कि वेंटिलेटर और आक्सीजन से लोगों की जान बच सकती है लेकिन आपने अब तक इसका पुख्ता इंतजाम नहीं किया. इन हजारों मौतों के लिए आप जिम्मेदार हैं. ये मौतें नहीं, हत्याएं हैं.
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