न्यूज चैनल और न्यूज पेपर वालों से दो टूक


धधकती हुई चिताएं, मरीजों से भरे हॉस्पिटल, परेशान परिजन, सजी हुई अर्थी, दर दर भटकते परिजन, भुख से तड़पते राहगीर।


आखिर यह सब दिखाकर क्या जताना चाहते हैं हमारे न्यूज चैनल ।


महामारी है हम सबको पता है।

आउट ऑफ कंट्रोल है यह भी  सबको पता है।


 रिपोर्टिंग करिए

ठीक हुए मरीजों का इंटरव्यू कराइए।


ऑक्सीजन सिलेंडर कहां मिल रहा है यह बताइए।


प्लाज्मा डोनर्स का डेटाबेस बनाए।


किस हॉस्पिटल में बेड खाली है यह बताएं।


एंबुलेंस सर्विस की डिटेल दें।


सेवा करने के लिए प्रेरित कीजिए।


कहां सुविधा उपलब्ध है उसकी जानकारी दीजिए।


जन प्रतिनिधियों को सामाजिक सेवा के लिये उसकाइऐ मजबूर कीजिए।


लेकिन नहीं आपको तो सनसनी चाहिए।


घबराहट फैला कर क्या साबित करना चाहते हैं आप ?


इतना डर का माहौल बना दिया जा रहा कि स्वास्थ व्यक्ति भी बीमार पड़ जा रहा है।

मनोबल ऊंचा कर नहीं सकते तो तोडिऐ भी मत।


 केवल अपने पेपर और चैनल की टीआरपी ही मत बढ़ाइए।


समस्याओं का समाधान ढूढे और ढूढ़ने मे मदद करें।


सहमत है तो आवाज उठाईये और अपने शुभचिंतकों का हौसला बढाईये।

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