घोष ने बंगाल में एक जनसभा में कहा, ‘हिंदू समाज को हथियार उठाने होंगे, अगर कोई कायर निहत्था कहे, तो तुम उसका गला पकड़ लो।’
घोष ने आगे कहा, ‘हिंदू समाज कायर नहीं था, हम तलवार, बंदूक, त्रिशूल से सामना करने वाले हैं। हिंदुओं का कोई भी देवी-देवता बिना शस्त्र का नहीं है।’
पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा के कारण पहले ही बहुत ख़ून बह चुका है। पंचायत चुनावों से लेकर लोकसभा चुनावों तक जमकर हिंसा हो चुकी है। पिछले कई महीनों में बीजेपी-टीएमसी के कई कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है।
घोष इससे पहले टीएमसी के कार्यकर्ताओं को यह कहकर धमका चुके हैं कि, ‘उनके हाथ-पैर तोड़ दिए जाएंगे, पसलियां तोड़ दी जाएंगी और सिर फोड़ दिया जाएगा। हो सकता है आपको अस्पताल जाना पड़ जाए। यदि आपने ज़्यादा कुछ किया तो आपको श्मशान भी जाना पड़ सकता है।’
“कुत्ते की तरह मारा”
नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुंचाने वालों को लेकर घोष ने कहा था कि असम और उत्तर प्रदेश में उनकी सरकार ने ऐसे लोगों को “कुत्ते की तरह मारा” है। घोष के इस तरह के कई बयान मीडिया में हैं जो बेहद आपत्तिजनक हैं और हिंसा को बढ़ावा देते हैं।
अगर घोष के इस बयान के जवाब में दूसरी ओर से भी इसी तरह के बयान दिए जाएं तो निश्चित रूप से क़ानून व्यवस्था के बिगड़ने का ख़तरा पैदा होगा। राज्य में कुछ ही दिन पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हमला हो चुका है। राजनीतिक हिंसा का यह ख़ूनी खेल तुरंत बंद किए जाने की ज़रूरत है और इसके लिए ज़रूरी है कि इस तरह के वाहियात बयान देने वालों पर नकेल कसी जाए।
बीजेपी जहां एक ओर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर राज्य में राजनीतिक हिंसा को संरक्षण देने का आरोप लगाती है, वहीं ममता इसके जवाब में कहती हैं कि बंगाल की छवि ख़राब करने की कोशिश की जा रही है।
लगाम लगाए बीजेपी
बीजेपी किसी भी सूरत में बंगाल में अपनी सरकार बनाना चाहती है। बंगाल में सरकार बनाने के लिए आरएसएस भी लगातार सक्रिय है। राज्य में बीजेपी और टीएमसी के कार्यकर्ताओं के बीच खूनी झड़पें होना आम बात है, जिसमें दोनों ओर के कार्यकर्ताओं को अपनी जान गंवानी पड़ी है। लेकिन बीजेपी को ऐसे नेताओं की जुबान पर लगाम लगानी चाहिए जो बहुसंख्यक समाज के लोगों से कहें कि वे हथियार उठा लें।
बंगाल चुनाव पर देखिए वीडियो-
बीजेपी को अगर कार्रवाई करनी होती तो वह घोष के अब तक आए बयानों को लेकर उन पर शिकंजा कसती लेकिन उसने कभी कोई एक्शन नहीं लिया। ऐसे में कहा जा सकता है कि ऐसे नेताओं को उसकी ओर से खुली छूट है, जो इस तरह के बयान देते हैं। इसी क्रम में बीजेपी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या और दिल्ली बीजेपी के नेता कपिल मिश्रा का भी नाम लिया जा सकता है।
तुरंत और सख़्त कार्रवाई हो
पश्चिम बंगाल में अप्रैल-मई में विधानसभा के चुनाव होने हैं। आने वाले कुछ महीने राज्य की सियासत में राजनीतिक गहमागहमी वाले रहेंगे। चुनाव रोमांचक होने भी चाहिए, जिसमें हर दल को जोर-आज़माइश करनी चाहिए लेकिन इसका ढंग लोकतांत्रिक होना चाहिए। हर दल को पूरा अधिकार है कि वह अपनी ताक़त दिखाए, जनता के सामने अपनी बातों को रखे। लेकिन किसी भी तरह का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण, किसी मज़हब, जाति के मतदाताओं के ध्रुवीकरण के लिए भड़काऊ बयान देने पर उस नेता के ख़िलाफ़ तुरंत और सख़्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
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