"यूट्यूब चैनल पर पत्रकारिता करने वाले पत्रकार को सम्मान नहीं दे सकते तो अपमान करने का अधिकार भी नहीं"

दोस्तों आप सभी को पता है कि जब से यूट्यूब चैनल पर पत्रकारिता करने वाले पत्रकार सक्रिय हुए हैं तब से अपराधी व भ्रष्टाचारी फूंक फूंक कर कदम रखने पर मजबूर हुए हैं।
साथ ही जो पीड़ित परिवार महीनों दर दर भटकता रहता था उसे आसानी से न्याय भी मिलने लगा है जो लोग मीडिया के माध्यम से अपनी बातों को शासन प्रशासन तक पहुंचाना चाहता था लेकिन जिम्मेदार लोगों द्वारा उसे ठग लिया जाता था पर अब यूट्यूब चैनल पर प्रसारित ख़बर बड़ी आसानी से करवा देता है।जिससे अब दलालों के दुकानों पर अली गढ़ वाला ताला लटकने का नौबत आ गया है।
अब दलालों में आक्रोश देखने को मिल रहा है यूट्यूब चैनल पर पत्रकारिता करने वाले पत्रकार का बाल तो बांका नहीं कर पा रहे लेकिन उनका अपमान करने से नहीं चूक रहे।
देशवासियों आपको बता दूं कि ये दलाल चाटुकार अधिकारी से अपने आप को गब्बरसिंह बताने से पीछे नहीं हटते और यूट्यूब चैनल पर पत्रकारिता करने वाले पत्रकार को यूट्यूबर बता रहे हैं।नेताओं से लेकर संगठन चलाने वाले तथा आम आदमी के दिमाग में भी यूट्यूब चैनल पर पत्रकारिता करने वाले पत्रकार को यूट्यूबर बता कर उनकी पत्रकारिता को खत्म कर देने की साज़िश कर रहे हैं।
दोस्तों यदि यही कुछ चंद दलाल हावी हो गये तो फिर से अपराधी भ्रष्टाचारी बरसाती मेंढक की तरह सक्रिय हो जायेंगे और आपकी जेबों को काटना शुरू कर देंगे।
फिर आपकी आवाज बुलंद करने के लिए कोई आगे नहीं आयेगा और आप लोग इनका शिकार होते रहेंगे।देशवासियों आप सभी भलीभांति जानते हैं कि अभी आपको प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी है तो कौन आपके पास आयेगा।
और खबरें कौन प्रसारित करेगा।
हम किसी को गोदी मीडिया दलाल चाटुकार बिकाऊ मीडिया नहीं कहते तो हम स्वतंत्र पत्रकारों को यूट्यूबर बता कर अपमान करने की इनका भी अधिकार नहीं होना चाहिए।

डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले पत्रकार भी सावधान हो जाओ अन्यथा कुछ चंद दलालों द्वारा अपमान होते रहोगे।
यूट्यूब चैनल पर पत्रकारिता करने वाले पत्रकार की ताक़त किसी से कम नहीं है।

रविश कुमार अजीत अंजुम अभिसार शर्मा मनीष कश्यप प्रसून बाजपेई प्रज्ञा मिश्रा जैसे तमाम उदाहरण देख लिजिए।

एक यूट्यूबर टूटी फूटी सड़कें बजबजाती नालियां दिखाता है एक यूट्यूबर सिक्षा बेरोज़गारी स्वस्थ्य पर सवाल करता है एक यूट्यूबर एल डी ए आवास विकास कानून व्यवस्था पर सवाल करता है।एक यूट्यूबर गांव गली मुहल्लों में सक्रिय भूमिका निभाते हुए एक आम इंसान की आवाज बुलंद करने का काम करता है।
बस फर्क इतना है कि एक यूट्यूबर के पास करोड़ों का स्टुडियो नहीं होता एक यूट्यूबर अधिकारी के साथ ए सी में बैठ कर काफ़ी नहीं पीता एक यूट्यूबर शासन सत्ता में बैठे राज नेताओं के पीछे पीछे लग कर चाटुकारिता नहीं करता।
बाकी देशवासियों का साथ यूट्यूबर के बीच है।
देश की जनता तय करेगी कौन निष्पक्ष कौन चाटुकार हैं।
इस बात को टी वी चैनल के संपादक तथा प्रिंट मीडिया के संपादक को भी समझना चाहिए और अपने रिपोर्टर को हिदायत देना चाहिए की किसी भी यूट्यूब चैनल पर पत्रकारिता करने वाले पत्रकार की बुराई न करें।
कलम किसी से भी चल सकती है। स्वतंत्र पत्रकार अटल बिहारी शर्मा लखनऊ ?.. #kksnews 
8010884848

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