मॉब-लिंचिंग से निपटने का तरीक़ा

 


सबसे पहले हमारे नौजवानों को यह समझ लेना चाहिए कि तुम्हें बचाने कोई नहीं आएगा... ना तो पुलिस, ना ही प्रशासन। ना तो सहिष्णुता के ठेकेदार समाज के लोग बचाने आयेंगे और ना ही तुम्हारा निकम्मा समाज। ना तो तुम्हें कोई  सेकुलर बचाने आयेगा और ना ही तुम्हारे रहबर और रहनुमा। जो भी करना है तुम्हें ही करना है। क्योंकि मर तुम ही रहे हो और तुम्हें ही मारा जाएगा। भविष्य में इसमें और तेज़ी ही आने की संभावना

है। इसलिए जब मरना ही है तो रोते-बिलखते, गिड़गिड़ाते, दीन-हीन याचक मुद्रा में नहीं, बल्कि प्रतिरोध करते, सबक़ सिखाते, लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो। प्रण कर लो कि ख़ुदा ना करे लेकिन अगर ऐसी परिस्थिति में फंसा तो कुफ्रिया कलिमात किसी भी तरह ज़बान पर नहीं लाऊंगा और गिड़गिड़ाते हुए नहीं बल्कि लड़ते-लड़ते मरुंगा। ऐसी मौत ज़िल्लत और रुसवाई के बजाय शहादत के दर्जे पर सरफ़राज़ करेगी। अब आगे कुछ उपाय बताता हूं जिन पर अगर अमल किया तो कुछ ही दिनों में इस समस्या से निजात पा लेंगे।

1- आपने देखा होगा कि इन्सान की खाल में छुपे यह भेड़िये और कुत्तों के यह झुंड, निरीह तथा अकेला पाकर आपका शिकार करते हैं। इसलिये अकेले यात्रा से बचें। हमेशा अपने समूह के साथ यात्रा करने का प्लान बनाएं।

2- किसी अनजान इलाक़े में सफ़र ना करें। 

3- हॉकी स्टिक या तीन फुट का डंडा  साथ लेकर चलने को अपनी दिनचर्या और आदत का हिस्सा बना लें। चाहे अकेले हों या समूह में... आपके पास स्टिक या डंडा हाथ में ज़रुर रहे। 

4- बेल्ट ज़रुर बांधें। अपनी कल्पना का इस्तेमाल करके बेल्ट को बेहतरीन आत्मरक्षा का अस्त्र बनाया जा सकता है। इसलिए आत्मरक्षा के लिए सभी उपाय अपनाएं।

5- किसी की बातचीत में आक्रामकता और ख़तरा महसूस होते ही offence is the best defence का सिद्धांत अपना कर समूह के सभी सदस्य उसे क़ाबू में कर लें ताकि वह मोबाइल का प्रयोग करके अपने साथी इकट्ठा ना करने पाए।


6- अपने-अपने गांव, क़स्बों में तेज़-तर्रार नौजवानों के व्हाट्स-एप ग्रुप बना लें। अपने रुट पर पड़ने वाले गांव के ग्रुप्स में जुड़े रहें। ताकि जब इस तरह की ज़रूरत पड़े तो नज़दीक के गांव से फ़ौरन मदद हासिल कर सकें।

7- विशेष रंग के गमछा धारियों की गतिविधियों पर नज़र रखें। किसी की गतिविधियों के ख़तरनाक संकेत मिलते ही किसी भी बहाने से उसकी कंबल-परेड करा दें।

8- अपने दुश्मनों को अच्छी तरह पहचानने और चिन्हित करने के लिए शाखाओं पर नज़र रखिये तथा मुखबिरों का नेटवर्क खड़ा करिये।

9- हर मुहल्ले में एक अखाड़ा बना लें जहां पर अपनी सुविधानुसार फ़जर या मग़रिब के बाद मार्शल आर्ट सीखने का इंतज़ाम करें। कोई जगह ना हो तो किसी की ख़ुली छत पर ही मिट्टी डालकर अख़ाड़ा बना लें। 

10- एक ही ध्येय बना लें कि अगर मरेंगे तो मारने आये लोगों में से दो चार को मार कर ही मरेंगे।

इस पोस्ट को सभी व्हाट्स एप ग्रुप और फ़ेसबुक पर फैलाने के अलावा छपवा कर ग़रीब और कम पढ़ें लिखे लोगों तक भी पहुंचाएं ताकि नौजवान जागरुक हो सकें। क्योंकि लिंचिंग के सबसे ज़्यादा शिकार वही लोग हो रहे हैं।

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