किन्नरों की खानगाह का शहर, दिल्ली

किन्नर जीवन बचपन से मृत्यु तक एक अनोखी कहानी है। स्त्री और पुरुष दोनों के जीवन से भिन्न ऐसा क्या है इनके जीवन में? जानने के लिए देखिए किन्नरों का संसार। आज हम आपको बताएँगे किन्नर दिल्ली में कहाँ अपने  मृतकों का अंतिम संस्कार  गोपनीय ढंग से करते हैं। आधी रात के समय खामोशी से शवों को या तो दफना दिया जाता है या फिर उन्हें शमशान घाट में जला दिया जाता है। किन्नर  सम्प्रदाय किन्नरों की कब्र का नामोंनिशान तक मिटा देता है।
इसके बावजूद दिल्ली के मेहरौली क्षेत्र में छत्तावाली गली में किन्नरों  का आठ सौ साल पुराना एक कब्रिस्तान है जहां किन्नरों की कई सदियों पुरानी कब्रें मौजूद हैं। इसके साथ ही एक प्राचीन मस्जिद भी है। यह सारा क्षेत्र “हिजड़ों की खानगाह” कहलाता है।
इतिहास से ये पता नहीं चलता कि यह इमारत कितनी पुरानी है लेकिन इसकी वास्तुकला का बारीकी से अध्ययन करने पर इस बात की पुष्टि होती है कि इसका तुग़लक काल में निर्माण किया गया था। इसमें कई प्रमुख किन्नरों की सदियों पुरानी कब्रें हैं। इस कब्रिस्तान की देखभाल पुरानी दिल्ली के किन्नर करते हैं। वह एक निश्चित तिथि पर इस कब्रिस्तान की सफाई करते हैं और वहां पर भंडारे का आयोजन करके ग़रीबों को खाना खिलाते हैं।
देशभर में यह अपनी ढंग का अनोखा कब्रिस्तान है।

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