मशहूर उपन्यासकार चेतन भगत 2013 से ही "मोदी भक्त" रहे हैं। चेतन भगत के उपन्यासों पर बनी तमाम फिल्मों ने बाॅक्स आफिस के तमाम रिकार्ड तोड़ दिए हैं। जिनमें उनकी एक फिल्म थी "थ्री इडियट"

कहानी एक भक्त की :-

चेतन भगत का नाम आप सबने सुना ही होगा ? नहीं सुना तो जान लीजिए कि

मशहूर उपन्यासकार चेतन भगत 2013 से ही "मोदी भक्त" रहे हैं। चेतन भगत के उपन्यासों पर बनी तमाम फिल्मों ने बाॅक्स आफिस के तमाम रिकार्ड तोड़ दिए हैं। जिनमें उनकी एक फिल्म थी "थ्री इडियट"
आज चेतन भगत खुद को "इडियट" 

बता रहे हैं और 20 मई 2020 को अपने किए ट्विट में उन्होंने कहा कि 

"हमने अपनी अर्थव्यवस्था को पाकिस्तान और मुसलमानों को बर्बाद करने के चक्कर में बर्बाद कर दिया।" ( कमेन्ट बाक्स में देखें)

यही सच है , जो आज चेतन भगत ने महसूस किया है। धीरे धीरे सारे हिन्दुस्तानी इसे आज नहीं तो कल महसूस करेंगे क्युँकि देश से हम सभी प्यार करते हैं।

यही हम 2013 से कहते आ रहे हैं कि नफरत से देश का नुकसान होगा पर कोई सुनता कहाँ है ? खैर आज चेतन भगत ने कहा तो तमाम लोगों की मानसिकता बदलेगी क्युँकि शेक्सपियर ने जो कहा था कि "नाम में क्या रखा है" वह आज के दौर में निरर्थक है। आज के दौर में "नाम में ही सब कुछ रखा है"।

तब जबकि लिखने वाला कोई "मुहम्मद ज़ाहिद" हो , उसके ऐसे लिखे का कोई महत्व नहीं होता और मान लिया जाता है कि मुसलमान है यह तो संघ और मोदी की आलोचना ही करेगा , नकरात्मक विचार ही रखेगा। पर यही नाम कोई चेतन या कोई केतन व्यक्त करेगा तो वह सकरात्मक होगा।

दरअसल, पूरे संघ और भगवा गिरोह की प्राण-वायु हैं "मुग़ल , मुसलमान और पाकिस्तान" और इनसे पैदा की गयी नफ़रत। और इसी का देश भुगतान कर रहा है कि जीडीपी शून्य से नीचे चली गयी फिर भी एक सरकार और उसके मुखिया की लोकप्रियता बनी हुई है।

सोचिए कि वह कौन सी मानसिकता है जो देश को बर्बाद होते देख कर भी उस बर्बादी के ज़िम्मेदार लोगों को लोकप्रिय बनाए हुए है।

मुगल तो मर के इसी देश की मिट्टी खप गये , और हमारे देश शक्तिशाली भारत का पाकिस्तान से क्या मुकाबला ? निरक्षर , अनपढ़ और 1•5 सरकारी नौकरी में भागीदारी वाले दलितों से बदतर अल्पसंख्यक मुसलमानों का इस देश के 99% संसाधनों पर कब्ज़ा जमाए बहुसंख्यक हिन्दुओं से क्या मुकाबला ?

पर इसी देश में देश की बर्बादी की कीमत पर उल्टी गंगा बहाई गयी और बेहद कमज़ोर से बेहद मज़बूत लोगों को डराया गया। झूठे गढ़े इतिहास और झूठे वर्तमान के सहारे डरावने भविष्य को गढ़ कर उनके हृदय में ज़हर भरा गया।

सावरकर से लेकर गोलवलकर ने अपनी ज़हरीली किताबों और व्याख्यानों से ज़हर की फसल बोई और मोहन भागवत से लेकर आज के सत्ताधीश इसी फार्मुले के सहारे पैदा हुई फसल काट कर सत्ता की मलाई चाट रहे हैं।

पर देश को क्या मिला ? आज परिणाम सामने है।

पाकिस्तान भी वहीं और वैसा है तो मुसलमान भी वहीं और वैसा है। बस अधिक से अधिक कुछ लाशें गिर गयीं।

2013 के समय 10% जीडीपी के साथ हम चीन के लगभग समनांतर खड़े थे , आज शून्य जीडीपी के साथ कहाँ खड़े हैं खुद समझ लीजिए।

आप ऐसे भी देश की हालात समझिए कि माईक्रोसाफ्ट की मार्केट $1.4 ट्रिलियन की है , एपल की मार्केट $1.36 ट्रिलियन की है , एमोज़ोन की मार्केट $1.22 ट्रिलियन की है और भारत की सभी लिस्टेड कंपनीज़ की कुल मार्केट मात्र $1.57 ट्रिलियन की है।

आप ऐसे भी समझिए कि 26 मई 2014 से आज 25 मई 2020 के इस 6 साल के बीच में निफ्टी 20% नीचे और रुपया डाॅलर के मुकाबले 30% नीचे आ गया। 

वहीं विदेशी निवेशक बेंचमार्क में भारतीय बाजार ने पिछले छह वर्षों में 8% खो दिया तो इस बीच, अमेरिकी बाजार एस एंड पी 500 उसी अवधि में 55% बढ़ गयी।

तब जबकि कोरोना प्रभाव दोनों स्थानों में शामिल है। मतलब कि हम पहले से ही आर्थिक रूप से बर्बाद हो चुके थे। कोरोना तो मात्र एक बहाना है।

इसी लिए चेतन भगत ने कहा कि पाकिस्तान और मुसलमान को बर्बाद करने के चक्कर में हमने देश को बर्बाद कर लिया।

2013 से ही मीडिया के सहारे एक अभियान चलाया गया कि इस देश में अब तक हुए और होने वाले हर गलत काम का ज़िम्मेदार मुगल , मुसलमान और पाकिस्तान है। जिसपर 50 चैनलों पर पैनल डिस्कशन कराकर गालियाँ दिला दिला कर देश में यह नरेटिव लगभग सेट कर दिया गया। मुद्दा कोई भी हो उसमें मुगल मुसलमान और पाकिस्तान को खलनायक बनाने की तरकीब निकाल ली गयी।

यही कारण है कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद की जगह मंदिर बनाने के लिए हो रही खुदाई में मिल रहे बौद्ध अवशेषों को मंदिर के अवशेष बताया जा रहा है , जबकि वह अवशेष अपनी हकीकत स्वयं बता रहे हैं कि यह बौद्धों की बसाई नगरी "साकेत" के अवशेष हैं जिसे पुष्यमित्र शुंग ने धराशाई कर दिया था।

सच को झूठ में लपेटकर मुगल-मुसलमान-पाकिस्तान को खलनायक बनाना और ज़हर फैलाना इस देश की बर्बादी की सबसे बड़ी वजह है।

चेतन भगत को अक्ल आ गयी , कल शेष 40% को भी अक्ल आ जाएगी कि इस नफरत से ना मुगलों का कुछ बिगड़ेगा ना मुसलमानों का ना पाकिस्तान का।

क्युँकि नंगा पहनेगा क्या और निचोड़ेगा क्या ?

बर्बादी तो उसकी होती है जिसके पास कुछ होता है।

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