एक कबूतर और एक कबूतरी एक पेड़ की डाल पर बैठे थे। उन्हें बहुत दूर से एक आदमी आता दिखाई दिया। कबूतरी के मन में कुछ शंका हुई और उसने कबूतर से कहा कि चलो जल्दी उड़ चलें नहीं तो ये आदमी हमें मार डालेगा। कबूतर ने लंबी सांस लेते हुए इत्मीनान के साथ कबूतरी से कहा, भला उसे ग़ौर से देखो तो सही, उसकी अदा देखो, लिबास देखो, चेहरे से शराफत टपक रही है, ये हमें क्या मारेगा.. बिलकुल सज्जन पुरुष लग रहा है? कबूतर की बात सुनकर कबूतरी चुप हो गई। जब वह आदमी उनके करीब आया तो अचानक उसने अपने वस्त्र के अंदर से तीर कमान निकाला और झट से कबूतर को मार दिया और बेचारे उस कबूतर के वहीं प्राण पखेरू उड़ गए।
असहाय कबूतरी ने किसी तरह भाग कर अपनी जान बचाई और बिलखने लगी। उसके दुःख का कोई ठिकाना न रहा और पल भर में ही उसका सारा संसार उजड़ गया। उसके बाद वह कबूतरी रोती हुई अपनी फरियाद लेकर उस राज्य के राजा के पास गई और राजा को उसने पूरी घटना बताई। राजा बहुत दयालु इंसान था। राजा ने तुरंत अपने सैनिकों को उस शिकारी को पकड़ कर लाने का आदेश दिया।
तुरंत शिकारी को पकड़ कर दरबार में लाया गया। शिकारी ने डर के कारण अपना जुर्म कुबूल कर लिया। उसके बाद राजा ने कबूतरी को ही उस शिकारी को सज़ा देने का अधिकार दे दिया और उससे कहा कि "तुम जो भी सज़ा इस शिकारी को देना चाहो दे सकती हो, तुरंत उस पर अमल किया जाएगा"। कबूतरी ने बहुत दुःखी मन से कहा कि "हे राजन, मेरा जीवन साथी तो इस दुनिया से चला गया जो फिर कभी भी लौटकर नहीं आएगा।
" इसलिए मेरे विचार से इस क्रूर शिकारी को बस इतनी ही सज़ा दी जानी चाहिए कि "अगर वो शिकारी है तो उसे हर वक़्त शिकारी का ही लिबास पहनना चाहिए." ये शराफत का लिबास वह उतार दे क्योंकि शराफत का लिबास ओढ़कर धोखे से घिनौने कर्म करने वाले सबसे बड़े नीच और सिर्फ समाज के लिए हानिकारक नहीं होते हैं बल्कि अपने कूकर्मों के फल के दंड स्वरूप अपना वंश नाश तो निश्चित ही वह कर लेगा। किसी को रुलाने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता.. दो-चार दिन या जब तक जीवन रहेगा वह चैन नहीं रह सकता। कबूतरी ने कहा, जब हम किसी को जीवन दे नहीं सकते तो किसी का जीवन लेने का अधिकार मुझे नहीं है।
*शिक्षा:-*
आज के दौर में इंसानों को शिकारी की तरह ना होकर सभी को कबूतरी की तरह सीधा और सरल होना चाहिए। ताकि संसार का कोई भी व्यक्ति अपना जीवन नीरस ना समझे और शिकारी की तरह सज्जन लगने वाले लोगों से हमें सावधान होना चाहिए।
*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*
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