आज की कहानी💐💐दामाद💐💐


रेनू की शादी हुयें, पाँच साल हो गयें थें, उसके पति थोड़ा कम बोलतें थे पर बड़े सुशील और संस्कारी थें। माता पिता जैंसे सास, ससुर और एक छोटी सी नंनद, और एक नन्ही सी परी, भरा पूरा परिवार था, दिन खुशी से बित रहा था।

आज रेनू बीतें दिनों को लेकर बैठी थी, कैंसे उसके पिताजी नें बिना माँगे 30 लाख रूपयें अपने दामाद के नाम कर दियें, जिससे उसकी बेटी खुश रहे, कैसे उसके माता पिता ने बड़ी धूमधाम से उसकी शादी की, बहुत ही आनंदमय तरीके से रेनू का विवाह हुआ था।

खैर बात ये नही थी, बात तो ये थी, रेनू  के बड़े भाई ने, अपने माता पिता को घर से निकाल दिया था, क्यूकि पैसें तो उनके पास बचें नही थें, जितने थें उन्होने रेनू की शादी में लगा दियें थें, फिर भला बच्चें माँ बाप को क्यू रखने लगें, रेनू के माता पिता एक मंदिर मे रूके थें।

रेनू आज उनसे मिल के आयी थी, और बड़ी उदास रहने लगी थी, आखिर लड़की थी, अपने माता पिता के लिए कैसे दुख नही होता, कितने नाजों से पाला था, उसके पिताजी ने बिल्कुल अपनी गुडिया बनाकर रखा था,

आज वही माता पिता मंदिर के किसी कोने में भूखें प्यासें पड़ें थे।

रेनू अपने पति से बात करना चाहती थी, वो अपने माता पिता को घर ले आए, पर वहाँ हिम्मत नही कर पा रही थी, क्यूकि उनके पति कम बोलते थे, अधिकतर चुप रहते थे, जैंसे तैंसे रात हुई रेनू के पति और पूरा परिवार खाने के टेबल पर बैठा था, रेनू की ऑखे सहमी थी, उसने डरते हुये अपने पति से कहा,

सुनिये जी, भाईया भाभी ने मम्मी पापा को घर से निकाल दिया हैं, वो मंदिर में पड़े है, आप कहें तो उनको घर ले आऊ,

रेनू के पति ने कुछ नही कहा, और खाना खत्म कर के अपने कमरें में चला गया, सब लोग अभी तक खाना खा रहें थे, पर रेनू के मुख से एक निवाला भी नही उतरा था, उसे बस यही चिंता सता रही थी अब क्या होगा, इन्होने भी कुछ नही कहा, रेनू रूहासी सी ऑख लिए सबको खाना परोस रही थी, 


        थोड़ी देर बाद रेनू के पति कमरें से बाहर आए, और रेनू के हाथ में नोटो का बंडल देते हुये कहा, इससे मम्मी, डैडी के लिए एक घर खरीद दो, और उनसे कहना, वो किसी बात की फ्रिक ना करें मैं हूं,  

रेनू ने बात काटते हुये कहा, आपके पास इतने पैसे कहा से आए जी??

रेनू के पति ने कहा, ये तुम्हारे पापा के दिये गये ही पैसे हैं, 

मेरे नही थे, इसलिए मैंने हाथ तक नही लगाए, वैसे भी उन्होने ये पैसे मुझे जबरदस्ती दिये थे, शायद उनको पता था एक दिन ऐसा आयेगा, 

रेनू के सास_ससुर अपने बेटे को गर्व भरी नजरों से देखने लगें, और उनके बेटे ने भी उनसे कहा, अम्मा जी बाबूजी सब ठीक है ना??

उसके अम्मा बाबूजी ने कहा बड़ा नेक ख्याल है बेटा, हम तुम्हें बचपन से जानते हैं, तुजे पता है, अगर बहू अपने माता_पिता को घर ले आयी, तो उनके माता पिता शर्म से सर नही उठा पायेंगे, की बेटी के घर में रह रहें, और जी नही पाएगें, इसलिए तुमने अलग घर दिलाने का फैसला किया हैं, और रही बात इस दहेज के पैसे की, तो हमें कभी इसकी जरूरत नही पड़ी, क्यूकि तुमने कभी हमें किसी चीज की कमी होने नही दी, खुश रहो बेटा कहकर रेनू और उसके पति को छोड़ सब सोने चले गयें,


      रेनू के पति ने फिर कहा, अगर और तुम्हें पैसों की जरूरत हो तो मुजे बताना, और अपने माता_पिता को बिल्कुल मत बताना घर खरीदने को पैसे कहा से आए, कुछ भी बहाना कर देना, वरना वो अपने को दिल ही दिल में कोसते रहेंगें, चलो अच्छा अब मैं सोने जा रहा, मुजे सुबह दफ्तर जाना हैं, रेनू का पति कमरें में चला गया,


             और रेनू खुद को कोसने लगी, मन ही मन ना जाने उसने क्या_क्या सोच लिया था, मेरे पति ने दहेज के पैसें लिए है, क्या वो मदद नही करेंगे करना ही पड़ेगा, वरना मैं भी उनके माँ_बाप की सेवा नही करूगी, 

रेनू सब समझ चुकी थी, की उसके पति कम बोलते हैं, पर उससे जादी कही समझतें हैं,

        रेनू उठी और अपने पति के पास गयी, माफी मांगने, उसने अपने पति से सब बता दिया, 

उसके पति ने कहा कोई बात नही होता हैं, तुम्हारे जगह मैं भी होता तो यही सोचता, रेनू की खुशी का कोई ठिकाना नही था, एक तरफ उसके माँ_बाप की परेशानी दूर दूसरी तरफ, उसके पति ने माफ कर दिया,

            रेनू ने खुश और शरमाते हुये अपने पति से कहा,

मैं आपको गले लगा लूं, उसके पति ने हट्टहास करते हुये कहा, मुजे अपने कपड़े गंदे नही करने, दोनो हंसने लगें,

और शायद रेनू को अपने कम बोलने वालें पति का जादा प्यार समझ आ गया,,,,,,,,,,



*सदैव प्रसन्न रहिये।*

*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*



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