यदि नहीं तो जरा सोचिए !
मैं चौकीदार हूँ
क्या यह जनता का मुद्दा है?
मैं चाय वाला हूँ
मैं फकीर हूँ
मैं गरीब हूँ मेरे पास तो कार भी नहीं
मैं कामदार आदमी हूँ
वो मुझे काम नहीं करने देते
वो मोदी को हराना चाहते हैं
स से सपा रा रालोद ब से बसपा : यानी सराब
उनका गठबंधन मिलावटी है
नेहरू ने अगर ऐसा किया होता, नेहरू ने अगर ऐसा ना किया होता...
कांग्रेस की विधवा माँ...
कांग्रेस खत्म हो गई तो गरीबी भी खत्म
मेरे विरोधी रो रहे हैं
यह मोदी है, बारी-बारी सब का हिसाब लेगा
क्या इनमें से एक भी जनता का मुद्दा है?
न रोजगार की बात
न काले धन की बात
न फसलों के दाम की बात
न अच्छी शिक्षा की बात
न अच्छे स्कूल कॉलेज यूनिवर्सिटी अस्पतालों की बात
जरा समझिए आम जनता के मुद्दों से हटाकर आपको किन बातों में उलझाने की सोची-समझी साज़िश हो रही है?
अरस्तू कहते हैं :
अगर ज्ञानियों की संख्या कम मूर्खों की संख्या ज्यादा होगी तो मूर्ख लोग ज्ञानी पर शासन करने लगेंगे !
मानें या न मानें, लेकिन भारत है तो मूर्खों का, महामूर्खों का ही देश। आपको यह बात भले ही अटपटी लगे लेकिन अकाट्य तथ्य तो यही साबित करते हैं कि भारत बाक़ायदा एक मूर्ख-प्रधान देश है !
(1) भारत यदि मूर्खों का देश न होता तो 130 करोड़ लोगों वाले इस देश में कैसे एक आदमी लाखों का सूट-बूट पहनकर कहता है कि मैं ग़रीब हूँ और जनता उसे ग़रीब मान भी लेती है?
(2) भारत यदि मूर्खों का देश न होता तो CBI, ED, IT, NIA जैसी एजेंसियाँ और SC, EC, CAG जैसी संवैधानिक संस्थाएँ जिस एक आदमी की कठपुतली हैं, आदमी कहता है कि मुझे सताया जा रहा है और लोग मान भी लेते हैं !
(3) भारत यदि मूर्खों का देश न होता तो जिसके पास संसद में भारी बहुमत हो, जिसकी पार्टी 22 राज्यों में सत्ता में हो, वह कहता है कि विपक्ष उसे संसद में काम नहीं करने दे रहा और लोग मान भी लेते हैं !
(4) भारत यदि मूर्खों का देश न होता तो जो भ्रष्टाचार में जेल काट चुके लोगों को टिकट देकर भी कहता है कि मैं भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ रहा हूँ, लोग उसे भी सही मान लेते हैं !
(5) भारत यदि मूर्खों का देश न होता तो जिसके शासन में सबसे ज़्यादा भारतीय सैनिक शहीद हुए वह कहता है कि दुश्मन उससे काँप रहा है और लोग मान भी लेते हैं !
(6) भारत यदि मूर्खों का देश न होता तो जिसके राज में सबसे ज़्यादा किसानों ने आत्महत्या की हो फिर भी वह कहता फिरे कि उसने किसानों को ख़ुशहाल बनाया है और लोग मान भी लेते हैं !
(7) भारत यदि मूर्खों का देश न होता तो जिसके राज में बलात्कार की वारदातें रोज़ाना नये कीर्तिमान बन रही हों, फिर भी वो कहता है कि उसका ‘बेटी बचाओ’ अभियान सफल है और हम मान भी लेते हैं !
(8) भारत यदि मूर्खों का देश न होता तो सुखमय भविष्य का सपना दिखाकर सत्ता में आने वाला हमें भूतकाल में घुमाकर कहे कि वो हमारा उद्धार कर रहा है और हम मान भी लेते हैं कि हम ख़ुशहाल हो रहे हैं !
(9) कालाबाजारी को खत्म करने का दावा करके नोटबंदी करने वाला छोटी-बड़ी लाखों भारतीय कंपनियां बंद करा कर ढाई करोड़ भारतीयों को बेरोजगार करके कहता है कि नोटबंदी सफल रही और लोग मान भी लेते हैं !
(10) देश का प्रधानमंत्री कोरोना वायरस जैसी आपदा में सरकार की तरफ से की गई व्यवस्था के बारे में जानकारी देने की बजाय लोगों से ताली और थाली बजाने की अपील करता है और लोग अपनी छतों, बालकनी और गलियों में जुलूस लेकर निकल जाते हैं !
(11) भारत मूर्खो का देश है, जहाँ सरकार लोगों के पीने के पानी पर नहीं, बल्कि ढोंगी और पाखंडियों के शाही स्नान पर करोड़ों का खर्च करती है !
मूर्खों को धर्म, जाति, गोत्र, खाप, आस्था, फर्जी राष्ट्रवाद, जाति आधारित नफरत जैसे तोहफ़े हमेशा से बेहद पसन्द आते रहे हैं। शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य-सेवा आदि जैसी बुनियादी जरूरत मूर्खों को नहीं दिखाई देती।
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