कोरोना का दंश झेल गये नागराज,मन्दिरों में नही पंहुचे श्रद्धालू

जलालाबाद(कन्नौज) इत्र और इतिहास की नगरी 
कन्नौज के प्राचीन मन्दिर आज भी अपनी प्राचीनता को तरोताजा करते है। गंगा तट पर चमन रिषी आश्रम से ठीक पन्द्रह किलो मीटर की महज दूरी पर पावन स्थल नदसिया जलालाबाद गांव की रमणीक धरा पर विराजमान बाबा नागेश्वर नाथ अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करते है, यही बजह है कि नागराज अपने हर भक्त के दिल में विराजमान है।
                      मन्दिर की महानता पर प्रकाश डालते हुए बुजुर्गो की मान्यता है कि यह मन्दिर तकरीबन 400 साल से ज्यादा प्राचीन है, मन्दिर की रूप रेखा एवं उनमें अंकित आकृतिया प्राचीनता को साफ जाहिर करती है। इतना ही नही मन्दिर की गगनचुम्बी ऊंचाई एवं मन्दिर के चारो तरफ बनी चाहर दीबार व परिषर में स्थापित चहुमुखी यज्ञशाला भक्तों के मन को मोह लेता है। पूरा का पूरा मन्दिर ककईया ईंट एवं डाट पर बनाया गया हैं,बुजुर्गो की मानें तो यह मन्दिर किसी तेजस्वी राजा की देखरेख में बनाया गया होगा। 
                 मन्दिर की गहनता से जानकारी करने जब मीडिया टीम गांव से मन्दिर परिषर पहुंची तों पुजारी लोगों ने बताया कि यहां कि शिवलिंग काफी प्राचीन अथवा काशी विश्वनाथ से मैच करती है, साथ ही गुम्बद पर लगाया गया कलश विशेष् धातु का बताया जाता है। मन्दिर में सावन माह में 24 घण्टे के बीच किसी भी बक्त नागराज स्वंय मन्दिर की परिक्रमा करते है, इतना ही नही समूचे ब्राह्मणों के गांव में स्थापित मंन्दिर परिषर में हर महीने हवनपूजन इत्यादि का कार्यक्रम चलता रहता है, मन्दिर में बाबा का अर्शीबाद ग्रहण कर जगतगुरु शंकराचार्य व महान संत सिरोमणी करपात्री जी महाराज भी यज्ञ आहुती में सम्लित हो चुके है, 
मन्दिर के मुख्य द्वार पर लगा दिव्य घंण्टा अपनी झंकार से दसों दिशाओं को गुन्जायमान करदेता है। 
                      मन्दिर का मुख्य जुडाव मुख्यमार्ग नेशनल हाईवे से है, जहां हजारों की संख्या में भक्त बाबा के दर्शन के लिए आते है मगर इस समय मन्दिर के मंहत्त के मुताबिक घातक बीमारी के चलते काफी कम मात्रा में भक्तों ने दर्शन लाभ पाया है। कस्बा समेत ग्रामीण अंचलों में घर-घर लोगों ने दीवारों पर नाग नागिन के चित्र का आलेख बनाकर पूजा अर्चना की मंदिरों में सन्नाटा रहा

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