फ़िल्म इंडस्ट्री के कलाकारों के द्वारा आत्महत्या की खबर आती रहती है जिसका मुख्य कारण है फ़िल्म इंडस्ट्री में सीरियल के निर्माताओं द्वारा कलाकारों का मानसिक व आर्थिक शोषण करना

अजय सिंह राजपूत फिल्म प्रोड्यूसर बॉलीवुड


        कोई भी कलाकार जब धारावाहिक में काम करता है तो उसे उसका भुगतान 90 दिन या फिर 120 दिन बाद मिलता है फिर वो काम एक दिन का ही क्यों न हो जिसकी वजह से कलाकार डिप्रेशन में आ जाता है क्योंकि उसी भुगतान में से 30% कमीशन कलाकार को कसम दिलाने वाला ले लेता है अब बचे हुए पैसे से ही उससे अपना खर्च चलाना होता है अधिकतर कलाकार मुम्बई में पेइंग गेस्ट रहते हैं।खाने और रहने की 

जद्दोजहद में कलाकार कम पैसे में भी काम करने को राजी हो जाता है जिसका फायदा कोर्डिनेटर यानी सो काल फिल्मी दलाल व सीरियल के निर्माता उठाते है,और सबसे ज्यादा हैरानी इस बात की है कि कलाकारों के हित के लिए काम कर रही *सिंटा*व शिवसेना व अन्य संस्थाएं सबकुछ जानकर भी आंखों पर पट्टी बांधे है।

        फ़िल्म जगत के कई नामी गिरामी हस्तियाँ वर्तमान में मनोज तिवारी,जयाप्रदा,रविकिशन,हेमामालिनी,सनी देओल,जया बच्चन,जावेद अख्तर,इत्यादि दिल्ली के राजनीति के गलियारे में काला चश्मा पहने पहुँच जाते है जिनकी बड़ी लम्बी लिस्ट है वे आंखों से चश्मा तक नही उतारते तो उनसे खैर उम्मीद भी कोई क्या करे। कलाकारों का जीवन किसी बंधुवा मजदूर से कम नही है न जाने कब इन्हें इससे निजात मिलेगी।
     कलाकारों व सभी टेक्नीशियन का भुगतान शूटिंग के एक सप्ताह बाद कर देने का प्रावधान होना चाहिए जो पहले था।इस पर विचार की आवश्यकता है।
अजय सिंह राजपूत फिल्म प्रोड्यूसर बॉलीवुड

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